Friday, August 16, 2019

Hibiscus flower plant care information - hibiscus pruning - hibiscus benefits in Hindi

गुड़हल 


Hibiscus flower image
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Hibiscus flower plant care information - hibiscus pruning - hibiscus benefits in Hindi

गुड़हल एक बहुत परिचित फूल है, लगभग हर फूल प्रेमी कभी ना कभी इस पौधे को अपने बगीचे में लगाया होगा
और लगभग हर भारतीयों के घर में इन फूलों को पूजा के फूलों के रूप में इस्तेमाल किया जाता है
इस फूल के साथ भारतीय संस्कृति तथा धार्मिक मान्यताओं से गहरा संबंध रहा है
भारतीय आयुर्वेद में भी इसका विशेष महत्व है

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सूचना और इतिहास


➧  वैज्ञानिक नाम - Hibiscus rosa-sinensis

➧  परिवार - Malvaceae

➧  श्रेणी - Eudicots

➧  बर्ग - Hibiscus

➧  जनजाति - Hibisceae

सबसे पहले १७५३  में कार्ल लिनिअस ( Carl Linnaeus ) ने हिबिस्कस रोसा-सेंसेंसिस ( Hibiscus rosa-sinensis ) को अपनी प्रजाति प्लेंटरम ( Species Plantarum ) में नामित किया था


Hibiscus flower image
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गुड़हल का पेड़ ८ से १६ फीट की ऊंचाई तक बढ़ सकता है, और इसे ५ से १० फीट चौड़ाई में देखा जा सकता है,
यह एक घना झाड़ीनुमा पौधा है, इसके पत्ते गहरे हरे और नोकदार होते हैं 
इनके अलग अलग प्रजातियों के पौधों में अनेको रंगों और विभिन्न आकारों के फूल देखा जा सकता है
इन फूलों का व्यास २ इंच से ७ इंच तक होता है

गुड़हल का पेड़ उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में बहुत अच्छी तरह से बढ़ता है क्योंकि १० डिग्री से कम का तापमान यह सेहन नहीं कर सकता
हालांकि, समशीतोष्ण क्षेत्रों में कुछ जगहों पर इसे  ग्रीनहाउस में रखा जाता हैं
इसे विभिन्न देशों और क्षेत्रों में अलग अलग नामो से बुलाया जाता है जैसे पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश में जबा, हिंदी में गुड़हल और जबाकुसुम,  मलेशिया में बुंगा राया ( Bunga Raya ), हैती में रोस कायेन ( Rose kayenn ), फिलीपींस में गुम्मेला ( Gumamela ), इसके अलाबा चाइना रोस ( China rose ), हवाईयान हिबिस्कस ( Hawaiian hibiscus ), रोज मॉलो ( Rose mallow ) के नाम से भी जाना जाता है

गुड़हल हैती ( Haiti ) का राष्ट्रीय प्रतीक है, और सोलोमन द्वीप और नीयू (Solomon Islands and Niue ) सहित देशों का राष्ट्रीय फूल है
गुड़हल ( हिबिस्कस रोजा-सिनेंसिस - Hibiscus rosa-sinensis ) मलेशिया का राष्ट्रीय फूल है
और ( हिबिस्कस सिरिएकस- Hibiscus syriacus ) दक्षिण कोरिया का राष्ट्रीय फूल है
भारत के विभिन्न हिस्सों में इसकी खेती की जाती है। जहां से फूलों को इकट्ठा किया जाता है और विभिन्न जगहों पर बेचा जाता है


Hibiscus flower photo
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उपयोग और लाभ


लाल गुड़हल या रक्त जबा की पहचान हिंदू धर्म की देवी महाकाली के प्रतीक के रूप में की जाती है
महादेवी काली की पूजा इस लाल गुड़हल के साथ ही की जाती है

गुड़हल के फुलोको ताहितियन और हवाईयन ( Tahitian and Hawaiian ) लड़कियां सजावट के लिए अपनी बालों पर लगाया करती हैं

गुड़हल की एक प्रजाति, जिसे हिबिस्कस कैनबिनस ( Hibiscus cannabinus ) के रूप में जाना जाता है, इसका उपयोग व्यापक रूप से कागज बनाने में किया जाता है

एक और प्रजाति के गुड़हल हिबिस्कस सबडरीफा ( Hibiscus sabdariffa ) के बनी चाय दुनिया भर के कई देशों में अलग अलग नाम से जानी जाती है और इसे गर्म और ठंडा दोनों तरह से परोसा जाता है, यह पेय अपने लाल रंग, तीखे स्वाद और अनोखे सुगंध के लिए जाना जाता है, साथ ही यह अपने विटामिन सी सामग्री की वजह से अत्यधिक पौष्टिक भी माना जाता है
विभिन्न देशों में गुड़हल से बने इन चाय को अनेको प्रकार नामों से पुकारा जाता है जैसे - Bissap, Gul e Khatmi, Agua de jamaica, Orhul, Roselle, Sorrel, Soobolo, Karkade, इत्यादि ।

भारतीय आयुर्वेद में गुड़हल Hibiscus rosa-sinensis  के फूलो को कई गुणों के रूप में वर्णित किया गया है, यह बालों की समस्याओं, सर्दी खांसी पर उपयोग किया जाता है

इसके अलावा, अनेको आयुर्वेदिक दवाओं में इसका इस्तेमाल भी किया जाता है


Hibiscus flower photos
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कुछ और जानकारी


इसकी लगभग ६५० प्रजातियाँ पूरे विश्व में पाई जाती हैं
विभिन्न प्रजातियां और उनके अनेको रंग, आकार यह सब प्रकितिक रूप में नहीं हुआ हे ? 
अधिकांश गुड़हल के पौधे जो हम नर्सरी से खरीदते हैं ज्यादातर बह मनुष्यों द्वारा बनाए जाते हैं
ग्राफ्टिंग ( Grafting ) टिस्यू कल्चर ( Tissue culture ) और दो प्रजातियों के पराग रेनू को मिलाकर नयी प्रजाति और नए रंगो के गुड़हल के पौधे तैयार किया जाता हे 
जिसे हम आमतौर पर बैंगलोर गुड़हल, पुणे वैराइटी, ऑस्ट्रेलियाई या हाइब्रिड गुड़हल के रूप में जानते हैं

पौधा रोपण 



जैसा कि हम जानते हैं कि बहुत से लोग अपने बगीचे या गमलो में गुड़हल के पौधे लगाते हैं इसलिए आज हम इस पौधे को लगाने के बारे में कुछ जानकारी उपलब्ध करबायेंगे 

सबसे पहले, मिट्टी बनाते है



➽  मिट्टी - ५० %
➽  उर्वरक - ३० %
➽  नदी की रेत - १० %
➽  कॉकपिट - १० %
➽  हडडिचुरा  २५० ग्राम प्रति गमला 

Hibiscus potting mix
Hibiscus potting mix

किसी भी खेती योग्य मिट्टी को लिया जा सकता हे,  केंचुआ से बना उर्वरक सबसे अच्छा होता है, अगर आपको यह नहीं मिलता है, तो आप पत्ते से बना खाद या गोबरखाद का उपयोग भी कर सकते हैं
इन सबको अच्छे से मिलाएं - अब आपकी मिट्टी तैयार है
पौधे लगाने के लिए कम से कम १० इंच के गमले का उपयोग करना चाहिए, जब यह एक डेढ़ साल का हो जाता है, तब आप इसे १२ / १५  या उससे बड़े वाले गमले में प्रत्यारोपण कर सकते हैं
किसी भी पौधा लगाने के लिए हमेशा मिट्टी के गमले का उपयोग करना अच्छा होता है 
सबसे पहले गमले को लीजिये देखिये उनके निचे जो छेद हैं  उसपर एक टूटे हुए गमले का टुकड़ा रखने के बाद उसपर थोड़ासा रेत डालकर तभी उसपर मिटटी डालिये। इससे क्या होगा के आपके गमले से अत्यधिक पानी निकल जाता हैं और आपके पौधे स्यस्थ रहते हैं
अब पौधे को लगाकर उसपे थोड़ा पानी दाल दीजिये 

देखरेख 



इस पौधे को हमेशा धूप में रखना चाहिए

गुड़हल के पौधे को कभी भी ज्यादा पानी न दें, क्योंकि जब पानी बहुत अधिक हो जाता है तो पेड़ की जड़ें सर जाती हैं, खासकर हाइब्रिड बाले गुड़हल, हालांकि जब पेड़ पर कई सारे फूल लगे हुए हो तब थोड़ा ज्यादा पानी की जरूरत होती है
बरसात के मौसम में थोड़ासा सतर्क रहने की जरुरत होता हे और अगर ज्यादा बारिश हो तो इसके पौधे समेत गमले को जमीनपर लेटाके भी रख सकते है
कुछ दिनों के अंतराल के बाद, गमले की मिट्टी को थोड़ा थोड़ा खोद दिया करे, क्योंकि मिट्टी खोखली होने से पौधे स्वस्थ रहते है
१० / १५ दिन के अंतराल में थोड़ीसी सरसो की खली को २ / ३ दिन पानी में भिगोके उसका कारा देनी चाहिए 


Hibiscus flower
Hibiscus flower


रोग और उसका इलाज


गुड़हल में मुख्य तोर पर निचे दी गयी बीमारी ही होती है ---

Spider mites -- यह एक प्रकार का कीट है जो आमतौर पर पत्तियों के नीचे पाया जाता है, गुड़हल के टहनी पर छोटे छोटे जाल बनाता है, जब पौधे पर इसका हमला होता है तब पत्तियां पीली हो जाती हैं और सिकोड़ने लगते हैं
उपाय - Rolex, Oberon, Xmite में से किसी एक के १ / २ मिलीलीटर को १ लीटर ठंडे पानी में अच्छी तरह मिलाएं और स्प्रे करे , इसे १० / १२ दिनों के अंतराल में जारी रखा जाना चाहिए जब तक कि यह पूरी तरह से ठीक न हो जाए

Mealybugs -- ये सबसे भयानक बीमारियां हैं, वे पेड़ के सभी रस को अवशोषित करते हैं, यह सफेद कीट पूरे पेड़ को बर्बाद कर सकता है यदि इसे शुरू में ही ठीक नहीं किया जाता है तो 
उपाय -  Dxtar १ ग्राम ५ लीटर पानी में या Acephate १ ग्राम १ लीटर पानी में डालकर अच्छी तरह से मिलाकर पौधे पर छिड़कें, आप इसे ५ -७  दिन के बाद फिर से दे सकते हैं
एक अन्य तरीका यह है कि नीम का तेल ५ मिली + डिटर्जेंट पॉवडर ग्राम = १ लीटर पानी में अच्छे से मिलाकर ७ / ८ दिन के अंतराल में पौधे पर स्प्रे करें जब तक रोग पूरी तरह से खत्म न हो जाये

Aphids -- ये आकार में बहुत छोटे होते हैं, यह काले सफेद पीले और हरे रंग के होते हैं, वे आमतौर पर कलियों के ऊपर रहते हैं और कलियों के नुकसान पहुँचाते रहते हैं, कलियों को खिलने में यह रुकाबट पैदा करता हैं
उपाय - इस मामले में आप Rolex, Oberon, Xmite में से किसी का भी उपयोग कर सकते हैं, प्रक्रिया समान है

Gall midge  -- पीले रंग का यह छोटा कीट भी कली पर ही हमला करता है, नतीजतन कलियाँ पीली हो जाती हैं और खिलने से पहले ही गिर जाती हैं
उपाय - पीली कलियों को इकट्ठा करे और उन्हें जिप लॉक बैग में सील करके उन्हें तुरंत कूड़ेदान में फेंक देना बेहतर है ताकि उन्हें नए जीवन चक्र से रोका जा सकें

Dieback -- यह भी एक घातक बीमारी है, क्योंकि कवक ( Fungus ) लगने से पेड़ की शाखाओं को धीरे-धीरे ऊपर से सड़ाने का कारण बनता है ( यह बीमारी गुलाब में भी होता है )
उपाय - इसे ठीक करने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि तने को जहाँ से यह बीमारी शुरू हुआ हे उसके थोड़ासा निचे से वो डाली को काट दे , और कटे हुए तनों पर कोई फफूंदनाशक पाउडर (जैसे कि  Saaf , Bavistin आदि) लगा दें

एक अन्य प्रकार का कीट होते है जो पत्तियों को खा जाता है, उस स्थिति में Plethora १ मिली १ लीटर पानी में मिलाकर छिड़का जा सकता है, यह उपरोक्त कई बीमारियों के लिए भी अच्छा फल देता है

इसके अलावा White flies, Thrips, आदि भी बीमारियां होती रहती हैं, इलाज के तोर पर उपरोक्त दवाओं का उपयोग करने से पौधा स्वस्थ हो जाता है 

इसके अतिरिक्त यदि आप प्रतिदिन पेड़ को पानी देते समय पूरे पेड़ को साफ पानी से नेहला देते हैं तो अधिकांश बीमारियाँ नहीं होती 

Hibiscus flower
Hibiscus flower

छंटाई


एसा माना जाता है कि जब गुड़हल की छंटाई की जाता हे तो उनमे तुलनात्मक रूप से कम फूल खिलते हैं
फिरभी यदि आप छंटाई करना चाहते हैं तो आप बहुत कम मात्रा में इसकी छंटाई करे, अगस्त-सितंबर छंटाई करने का सबसे अच्छा समय होता है
छंटाई करने के बाद उस जगह पर फफूंद नाशक पाउडर अबश्य लगाए

अंत में 


किसी किसी को फूलो के पौधे में कुछ समय के बाद फूल होना कॉम हो जाते है या पूरा ही बंद हो जाता है 
इसका कारन मुझे लगता हैं के कैमिकल फर्टिलाइजर का नियमित इस्तेमाल करना  ?
शुरू शुरू में तो परिणाम अच्छा मिलता है लेकिन कुछ समय के बाद गमले के मिटटी को ख़राब कर देते है 
मैंने खुद इसका अनुभब किया है 
कैमिकल फर्टिलाइजर का नियमित इस्तेमाल से मिटटी सूखा और सख्त हो जाता है जिससे पौधे की जर फेल नहीं पाते , पानी सोखने की ताकत भी काम हो जाते है 
इसीलिए मैं न तो कैमिकल फर्टिलाइजर का इस्तेमाल करता हूँ न ही किसीको इसकी सलाह देता हूँ 
में हमेशा जैविक खाद का ही इस्तेमाल करता हूँ 

मन पसंद रेसिपी के बारे में जानने के लिए इस ब्लॉग पर जाये Tasty with Healthy


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धन्यबाद 

4 comments:

  1. Gudhal ke poudhe me safed keede kaise hataye?

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    Replies
    1. Mealybugs -- ये सबसे भयानक बीमारियां हैं, वे पेड़ के सभी रस को अवशोषित करते हैं, यह सफेद कीट पूरे पेड़ को बर्बाद कर सकता है यदि इसे शुरू में ही ठीक नहीं किया जाता है तो
      उपाय - Dxtar १ ग्राम ५ लीटर पानी में या Acephate १ ग्राम १ लीटर पानी में डालकर अच्छी तरह से मिलाकर पौधे पर छिड़कें, आप इसे ५ -७ दिन के बाद फिर से दे सकते हैं
      एक अन्य तरीका यह है कि नीम का तेल ५ मिली + डिटर्जेंट पॉवडर १ ग्राम = १ लीटर पानी में अच्छे से मिलाकर ७ / ८ दिन के अंतराल में पौधे पर स्प्रे करें जब तक रोग पूरी तरह से खत्म न हो जाये

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